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Posts Tagged ‘50th’

जीवन के इस स्वर्णिम पल का लें हम निर्मल आनंद,

हाथ में हाथ लेकर चल पड़े थे हम कभी जीवन की राहों पर;

समय एक मखमल के दुपट्टे जैसा फिसला है हाथों से,

जा बैठा है यादों के वृक्ष की एक ऊंची टहनी पर.

 

इस वृक्ष पर लटकी हैं ढेर सारी खट्टी मीठी यादें,

कहीं कुछ मुस्कुराहटें हैं, तो हैं कुछ आंसू भी;

टेढ़ी मेढ़ी टहनियां बताती हैं उन रास्तों की कहानियां,

जिनको पकड़ कर जीवन के हर मोड़ को हमने है जिया.


बरगद सरीखे इस पेड़ की जड़ें हैं बहुत गहरी,

पूर्वजों के आशीर्वाद से है इनकी उत्पत्ति;

अपने प्यार और अथक परिश्रम से सींचा है इनको,

प्यार और परस्पर विश्वास की खाद से पोषित किया है इनको.

 

इसकी जड़ें हैं संचित पारिवारिक मूल्यों की धरती से ही,

संस्कारों, शुद्ध विचारों, और सुकर्मों से भी;

अगली पीढ़ियों के पंछी कलरव करते इसकी विशाल टहनियों पर,

उनके चहचहाने और कूकने की आवाज़ें गूंजती आँगन भर.

 

परिवार के ये पंछी उन्मुक्त इस विशाल गगन में ऊँचे उड़ें,

नए क्षितिजों को ढूंढें, नव कीर्तिमान स्थापित करें;

जब भी किसी घने जंगल में अपने को एक दोराहे पर पाएं,

हमारे पारिवारिक मूल्यों की कंपास के साथ आगे बढ़ें.

 

बरसों बीते संग रहते, कुछ कहते, कुछ सुनते,

 गृहस्थी की गाडी के दो पहियों को आगे बढ़ाते;

चन्दन पानी सा साथ है यह हम दोनों का,

 अब शायद समय है एक दूसरे का ज्यादा ख्याल रखने का.

 

बहुत कुछ सोचा, बहुत कुछ किया, बहुत कुछ मिला है इस जीवन में,

बच्चों का मिल रहा है अथाह प्यार जिसके लिए ईश्वर के आभारी हैं;

खेद नहीं है कोई, न है कोई दुर्भाव अथवा पश्चात्ताप ही,

बस एक आतंरिक शांति अवश्य है, और संतुष्टि का आभास भी.

 

(एक युगल दंपत्ति की ५०वीं शादी की सालगिरह के अवसर पर रचित)

(सुनील जैन की प्रेरणा के लिए आभार)


 

 

 

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